कृषि एवं किसानों के विकास के लिए उपयुक्त है समन्वित कृषि प्रणाली

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कृषि विश्वविद्यालय में समन्वित कृषि प्रणाली पर तीन दिवसीय अखिल भारतीय वार्षिक समूह बैठक प्रारंभ

समन्वित कृषि प्रणाली के विभिन्न मॉडलों, संभावनाओं एवं चुनौतियों पर विचार मंथन होगा

रायपुर,

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालयइंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आज समन्वित कृषि प्रणाली पर अखिल भारतीय समन्वित कृषि अनुसंधान परियोजना की तीन दिवसीय वार्षिक समूह बैठक का शुभारंभ किया गया। 31 जनवरी तक चलने वाली इस समूह बैठक में इस परियोजना के अंतर्गत संचालित देश के 74 अनुसंधान केन्द्रों के कृषि वैज्ञानिक शामिल हुए हैं। वार्षिक समूह बैठक के शुभारंभ समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) डॉ. एस.के. चौधरी थे तथा समारोह की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने की। इस तीन दिवसीय वार्षिक समूह बैठक का आयोजन भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, मोदीपुरम, मेरठ) तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। इस बैठक में समन्वित कृषि प्रणाली परियोजना के अंतर्गत देश भर के विभिन्न केन्द्रों में संचालित अनुसंधान गतिविधियों, समन्वित कृषि प्रणाली के विभिन्न मॉडलों, चुनौतियों तथा संभावनाओं पर विचार-मंथन किया जाएगा तथा भविष्य हेतु रणनीति तैयार की जाएगी।
वार्षिक समूह बैठक का शुभारंभ करते हुए उप महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद डॉ. एस.के. चौधरी ने कहा कि समन्वित कृषि प्रणाली आज के दौर में पूरे विश्व की आवश्यकता है और दुनिया के विभिन्न देशों में इसका सफलतापूर्वक प्रयोग किया जा रहा है। उन्हांेने कहा कि समन्वित कृषि प्रणाली के माध्यम से कृषि के उपलब्ध संसाधनों का समुचित तथा प्रभावी उपयोग हो पाता है, उत्पादकता बढ़ती है तथा खेती की लागत कम होती है। समन्वित कृषि प्रणाली फसल उत्पादन के साथ-साथ उद्यानिकी, वानिकी, पशुपालन, मछली पालन तथा कृषि से संबंधित सभी पहलुओं का समन्वित उपयोग कर अधिक उत्पादन एवं आय प्राप्त करने का उपयुक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि समन्वित समन्वित कृषि प्रणाली के द्वारा ही कृषि के क्षेत्र में व्याप्त चुनौतियों जैसे खाद्य सुरक्षा, पोषण सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी असंतुलन आदि का समाधान किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 70 वर्ष पूर्व शुरू की गई यह परियोजना उस समय भी प्रासंगिक थी और आज और भी ज्यादा प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत संचालित देश के विभिन्न केन्द्रों में समन्वित कृषि प्रणाली के विविध मॉडलों पर अनुसंधान किया जा रहा है तथा जलवायु सहनशील मॉडलों का विकास किया जा रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा कि कृषि एवं कृषकों के विकास के समन्वित कृषि प्रणाली एक बेहतरीन मॉडल है। इस प्रणाली के तहत किसान के पास उपलब्ध समस्त संसाधनों – मानव संसाधन, पशु संसाधन, यंत्र एवं उपकरण, बीज, खाद, उर्वरक, सिंचाई जल आदि का समुचित उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस मॉडल को और अधिक सफल बनाने के लिए इसमें कृषि के क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले नवाचारों एवं आधुनिक तकनीकों जैसे ड्रोन टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स आदि का भी उपयोग किया जाना चाहिए। डॉ. चंदेल ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए फसलों एवं उनके उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग पर ध्यान देना होगा। उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा समन्वित कृषि प्रणाली के क्षेत्र में किये जा रहे अनुसंधान कार्याें के बारे में भी जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में डॉ. एन. रविशंकर, परियोजना समन्वयक, अखिल भारतीय कृषि अनुसंधान परियोजना (समन्वित कृषि प्रणाली), डॉ. सुनील कुमार, निदेशक, भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम, डॉ. पी.के. घोष, निदेशक, राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान, रायपुर तथा डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी, संचालक अनुसंधान इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम के दौरान समन्वित कृषि प्रणाली के अंतर्गत उत्कृष्ट कार्य करने वाले दो किसानों श्री नरसिंह राठौर, पिपरहटा, आरंग तथा श्री निरंजन जांगडे, परसदा, आरंग को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समन्वित कृषि प्रणाली अनुसंधान परियोजना के तहत उल्लेखनीय कार्य करने वाले कृषि वैज्ञानिकों को भी सम्मानित किया गया। समारोह के दौरान समन्वित कृषि प्रणाली विषय पर प्रकाशित विभिन्न प्रकाशनों, वार्षिक प्रतिवेदन का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम के अंत में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रमुख सस्य वैज्ञानिक एवं कार्यशाला के आयोजन सचिव डॉ. आदिकांत प्रधान ने अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष एवं बड़ी संख्या में कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे।

बलरामपुर : 01 अप्रैल 2019 के पूर्व पंजीकृत वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह लगवाना अनिवार्य 01 अप्रैल 2019 के पूर्व पंजीकृत वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह लगवाना अनिवार्य बलरामपुर 22 जनवरी 2025/ जिला परिवहन अधिकारी ने बताया है कि कार्यालय परिवहन आयुक्त नवा रायपुर के द्वारा 01 अप्रैल 2019 के पूर्व पंजीकृत वाहनों पर हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह लगाये जाने के संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश प्राप्त हुए हैं। इस संबंध में जिला परिवहन अधिकारी ने आम नागरिकों से कहा है कि जिनका भी वाहन 01 अप्रैल 2019 से पूर्व पंजीकृत है वह हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह अपने वाहन में लगवायें। अपने वाहनों में सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह लगवाने के लिए परिवहन विभाग के वेबसाईट सीजी ट्रांस्पोर्ट डॉट जीओव्ही डॉट ईन में जाकर ऑनलाईन आवेदन कर अपने नजदीकी वाहन डीलर से 19 मार्च 2025 तक लगवा सकते हैं। निर्धारित तिथि तक हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरणर चिन्ह नहीं लगवाने पर मोटर अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाएगी। हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह लगवाने के लाभ जिला परिवहन अधिकारी ने बताया है कि हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह लगवाने से वाहन मालिकों को कई लाभ प्राप्त होते हैं। हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह नम्बर प्लेट सभी वाहन को एक यूनिक पहचान देते हैं, जिससे वाहन के मालिक का पता लगाना आसान होता है। साथ ही यह अपराधों के रोकथाम और जांच में मददगार होता है। हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह नम्बर प्लेट को निकाला नहीं जा सकता, जिससे वाहन चोरी होने की आशंका कम होती है। साथ ही कलर रिफ्लेक्टिव होते हैं, जिससे लाईट पड़ने पर अंक और अक्षर चमकते हैं और सीसीटीवी कैमरा में आसानी से चिन्हांकित हो जाता है।

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