सहकारिता की भावना आदिवासी समाज की बड़ी शक्ति-सरजियस मिंज

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भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के अवसर पर व्यक्त किये विचार

भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘‘आज़ादी के 75 वर्ष और जनजातीय पारंपरिक संस्कृति का संरक्षण एवं विघटन की स्थिति’’ के तीसरे दिन समापन समारोह का आयोजन हुआ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष सर्जियस मिंज ने कहा कि मानव के साथ मानव का संबंध ही संस्कृति है। आज भी आदिवासी समुदाय के लोग सहज, सरल और सहृदय है। उनमें सहकारिता की भावना है जिसके कारण वे किसी भी कार्य को सामूहिक रूप से करते हैं। हमारा समाज आज सामूहिकता से व्यक्तिवादिता की ओर बढ़ रहा है। यह बदलाव आदिवासी समुदाय में भी देखने को मिल रहा है। सहकारिता की भावना हमारी शक्ति है इसे किसी तरह भी कम नहीं होने देना चाहिए। श्री मिंज ने कहा कि किसी भी समुदाय के ज्ञान को कमतर नहीं आंकना चाहिए। आईक्यू अभ्यास से जुड़ा हुआ है, इसका संबंध जाति, समुदाय, धर्म विशेष से नहीं है। आदिवासियों को उनकी पहचान देने की ज़िम्मेदारी समाज वैज्ञानिकों की है ताकि उनके विकास को सही दिशा दिया जा सके। आदिवासी समाज को मुख्यधारा में लाना है और उनकी विशेषताओं को बनाए रखते हुए ऐसा करना बड़ी चुनौती है।

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, मुंबई से आए विशिष्ट अतिथि प्रो. विपिन जोजो ने कहा कि हमें विकास को देखने के नजरिए में बदलाव लाने की जरूरत है। अगर देश, दुनिया और सम्पूर्ण मानवता को बचाना है तो आदिवासियों से सीखने की जरूरत है। वैश्विक स्तर पर विकास के नए फ्रेम वर्क में आदिवासी नजरिए को शामिल करना होगा। हमें अपने शोधों में आदिवासी ज्ञान, परंपरा को भी सहेजने की जरूरत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पं. रविवि प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रो. आर. के. ब्रम्हे ने कहा कि आज दुनिया में सबसे सरल होना ही सबसे कठिन है, और यही सरलता हमें आदिवासी समाज में देखने को मिलती है। विश्वभर में राज्यों के निर्माण से पहले आदिवासी समाज रहा है और निश्चित तौर पर विभिन्न ज्ञान परंपरा आदिवासी समाज से जुड़ी रही है। आज की बड़ी चुनौती अपने संस्कृति के साथ विकास की ओर अग्रसर होना है। सांस्कृतिक अस्थिरता के कारण हो रहे बदलावों का सबसे नकारात्मक प्रभाव हाशिए के समाजों पर पड़ता है और वह समाज अपने जड़ों से कट जाता है।
कार्यक्रम में अतिथियों का समाजशास्त्र एवं समाज कार्य अध्ययनशाला के अध्यक्ष व संगोष्ठी के संयोजक प्रो. निस्तर कुजूर, प्रो. एल. एस. गजपाल व असोसिएट प्रो. हेमलता बोरकर वासनिक के द्वारा राजकीय गमछा व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. एल. एस. गजपाल के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नरेश कुमार साहू के द्वारा किया गया।

बलरामपुर : 01 अप्रैल 2019 के पूर्व पंजीकृत वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह लगवाना अनिवार्य 01 अप्रैल 2019 के पूर्व पंजीकृत वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह लगवाना अनिवार्य बलरामपुर 22 जनवरी 2025/ जिला परिवहन अधिकारी ने बताया है कि कार्यालय परिवहन आयुक्त नवा रायपुर के द्वारा 01 अप्रैल 2019 के पूर्व पंजीकृत वाहनों पर हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह लगाये जाने के संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश प्राप्त हुए हैं। इस संबंध में जिला परिवहन अधिकारी ने आम नागरिकों से कहा है कि जिनका भी वाहन 01 अप्रैल 2019 से पूर्व पंजीकृत है वह हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह अपने वाहन में लगवायें। अपने वाहनों में सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह लगवाने के लिए परिवहन विभाग के वेबसाईट सीजी ट्रांस्पोर्ट डॉट जीओव्ही डॉट ईन में जाकर ऑनलाईन आवेदन कर अपने नजदीकी वाहन डीलर से 19 मार्च 2025 तक लगवा सकते हैं। निर्धारित तिथि तक हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरणर चिन्ह नहीं लगवाने पर मोटर अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाएगी। हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह लगवाने के लाभ जिला परिवहन अधिकारी ने बताया है कि हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह लगवाने से वाहन मालिकों को कई लाभ प्राप्त होते हैं। हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह नम्बर प्लेट सभी वाहन को एक यूनिक पहचान देते हैं, जिससे वाहन के मालिक का पता लगाना आसान होता है। साथ ही यह अपराधों के रोकथाम और जांच में मददगार होता है। हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह नम्बर प्लेट को निकाला नहीं जा सकता, जिससे वाहन चोरी होने की आशंका कम होती है। साथ ही कलर रिफ्लेक्टिव होते हैं, जिससे लाईट पड़ने पर अंक और अक्षर चमकते हैं और सीसीटीवी कैमरा में आसानी से चिन्हांकित हो जाता है।

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